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The information of Health and fitness is very useful for everyone. If you get these knowledge, you can change your life according yourself so that read this blog every day
Monday, 30 September 2013
about fever
बुखार : कुछ
विशेष जानकारियां
हर प्रकार के
बुखार में :-
१. प्लेटलेट घटते
हैं .
२. मुंह का स्वाद कड़वा हो जाता है .
३. भूख बंद हो जाती
है .
४. शरीर में दर्द
होने लगता है .
५. चक्कर आने लगता
है .
६. उल्टी हो सकती है .
ऐसा इसलिए होता है
कि शरीर की सारी शक्ति बुखार के कारण से लड़ने में लगी होती है . शरीर के अंदर बैठा
महान डाक्टर जनता है कि खाना पचाने में लगाने के लिए शक्ति नहीं बची है तो वो भूख
बंद कर देता है . स्वाद को कड़वा कर देता है ताकि आप खा ही न पायें . दर्द इसलिए कि
आप चल ना पायें . चक्कर इसलिए कि आप आराम करते रहें .
शरीर में सबसे अधिक
शक्ति खाना पचाने में लगती है . बुखार के समय शक्ति की कमी हो जाती है , अत: प्रोटीन ,फैट , कार्बोहाइड्रेट
आदी खाना कर देना चाहिए .
प्राकृतिक चिकित्सा
के अनुसार बुखार में :-
१. नारियल पानी
पियें .
२. सब्जियों का सूप
लें .
३. अधिक रसेदार
सब्जी खाएं .
४. फल खाएं .
५. फल का जूस पियें .
६. प्लेटलेट बढ़ाने
के लिए पपीते के पत्ते का रस , बकरी
का दूध , गिलोय के पत्ते का रस ,
गिलोय की डंडी का रस / काढ़ा , एलोवेरा का रस आदी देते रहें .
७. चार दिन आराम
करें .
८. १०१ डिग्री से
ऊपर बुखार होने पर सिर , गले ,
दोनों बाहों , पिंडलियों पर पानी की पट्टी बांधे रहें .
ये सब चीजें आसानी
से पच जाती हैं . पचाने में शरीर को काम शक्ति लगनी पड़ती है . बुखार जल्दी से ठीक
हो जाता है . प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार बुखार स्वास्थ्य सुधार की एक आंतरिक
क्रिया है .
Monday, 16 September 2013
lady finger
भिंडी
भिंडी एक लोकप्रिय सब्जी है। इसमें कैल्शियम, फ़ॉस्फ़रस, विटामिन ए, बी तथा सी पर्याप्त मात्रा में पाये जाते है। भूमि व खेत की तैयारी. भिंडी के लिये दीर्घ अवधि का गर्म व नम वातावरण श्रेष्ठ माना जाता है। भिंडी विटामिन ए, सी, बी6 से भरपूर होती है और इसमें कैल्शियम, और मैग्नीशियम भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. भरवाँ भिंडी किसी भी और भरवाँ सब्जी की तरह थोड़ी खास होती है
भिंडी एक लोकप्रिय सब्जी है। इसमें कैल्शियम, फ़ॉस्फ़रस, विटामिन ए, बी तथा सी पर्याप्त मात्रा में पाये जाते है।
भूमि व खेत की तैयारी
भिंडी के लिये दीर्घ अवधि का गर्म व नम वातावरण श्रेष्ठ माना जाता है। बीज उगने के लिये 27-30 डिग्री से०ग्रे० तापमान उपयुक्त होता है तथा 17 डि से० ग्रे से पर बीज अंकुरित नहीं होते। यह फ़सल ग्रीष्म तथा खरीफ, दोनों ही ऋतुओं में उगाई जाती है। भिंडी को उत्तम जल निकास वाली सभी तरह की भूमि में उगाया जा सकता है। भूमि का पी एच० मान 7 से 7.8 होना उपयुक्त रहता है।
उत्तम क़िस्में
पूसा ए -4 : यह भिंडी की एक उन्नत क़िस्म है। यह पीतरोग येलोवेन मोजोइक रोधी है। फल मध्यम आकार के गहरे, कम लेस वाले तथा आकर्षक होते है। बोने के लगभग 15 दिन बाद से फल आना शुरू हो जाते है। इसकी औसत पैदावार ग्रीष्म में 10 टन व खरीफ में 15 टन प्रति है० है।
परभनी क्रांति : यह क़िस्म पीत-रोगरोधी है। फल बुआई के लगभग 50 दिन बाद आना शुरू हो जाते है। फल गहरे हरे एवं 15-18 सें०मी० लम्बे होते है। इसकी पैदावार 9-12 टन प्रति है० है।
पंजाब -7 : यह क़िस्म भी पीतरोगीरोधी है। फल हरे एवं मध्यम आकार के होते है। बुआई के लगभग 55 दिन बाद फल आने शुरू हो जाते है। इसकी पैदावार 8-20 टन प्रति है० है।
इसके अलावा भिंडी की अन्य उन्नत किस्में है - पंजाब पद्मिनी , हिसार उन्नत व वर्षा उपहार।
बीज की मात्रा व बुआई का तरीक़ा
सिंचित अवस्था में पंजाब, राजस्थान व हरियाणा में 2.5 से 3 कि०ग्रा० तथा असिंचित दशा में 5-7 कि०ग्रा० प्रति हेक्टेअर की आवश्यकता होती है। उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में 5 से 7 कि०ग्रा० प्रति हेक्टेअर बीज कीझ संस्तुति दी गयी है। लाइन से लाइन की दूरी 30 सें०मी०, पौधे से पौधे की दूरी 10 सें०मी० व 2 से 3 सें०मी० गहरी बुवाई करनी चाहिए।
ग्रीष्म ऋतु में 30 x 15 सें०मी० वर्षा में 45 x 70 x 20 x 25 सें०मी० की दूरी पर बुआई करनी चाहिए ।
बुआई का समय
भिंडी के बीज सीधे खेत में ही बोये जाते है। बीज बोने से पहले खेत को तैयार करने के लिये 2-3 बार जुताई करें। पूरे खेत को उचित आकार की पट्टियों में बांट लें जिससे कि सिंचाई करने में सुविधा हो। वर्षा ऋतु में जल निकास की दृष्टि से क्यारियों को तैयार करें।
खाद और उर्वरक
प्रति हेक्टेअर क्षेत्र में लगभग 15-20 टन गोबर की खाद 300 कि० ग्रा० अमोनियम सल्फ़ेट या 400 कि० ग्रा० सुपर फ़ॉस्फ़ेट एवं 100 कि० ग्रा० उत्तमवीर यूरिया 15 दिन के अन्तर पर 2 किश्तों में डालना चाहिए। ग्रीष्म ऋतु में हर 5-7 दिन बाद तथा ऋतु में आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए ।
गीष्म ऋतु में हर दिन, बाद वर्षा ऋतु में आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए।
निराई व सिंचाई
सिंचाई मार्च में 10-12 दिन, अप्रैल में 7-8 दिन और मई-जून मे 4-5 दिन के अन्तर पर करें। बरसात में यदि बराबर वर्षा होती है तो सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है ।
पौध संरक्षण
तना, फल छेदक एवं फुदका इसके नियन्त्रण के लिये 100-150 मि०ली० इमिडावीर प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए। फलों को छिड़काव से पहले तोड़ लेना चाहिए तथा इसके अलावा कीड़ा लगे फलों को तोड़ कर ज़मीन में गाड़ देना चाहिए।
पीत रोग, येलो बेन मौजेक यह भिंडी का प्रमुख रोग है। इस रोग में पत्तियों की शिराएँ पीली पड़ने लगती हैं अन्ततः पूरा पौधा एवं फल पीले हो जाते हैं। इस रोग से बचाने के लिये रोगरोधी क़िस्मों का ही प्रयोग करना चाहिए।
कटाई व उपज
भिंडी की तुड़ाई हर तीसरे या चौथे दिन आवश्यक हो जाती है। तोड़ने में थोडा भी अधिक समय हो जाने पर फल कडा हो जाता है। फल को फूल खिलने के 5-7 दिन के भीतर अवश्य तोड़ लेना चाहिए।उचित देखरेख, उचित क़िस्म व खाद- उर्वरकों के प्रयोग से प्रति हेक्टेअर 130-150 कुन्तल हरी फलियाँ प्राप्त हो जाती हैं.... Read more

भिंडी एक लोकप्रिय सब्जी है। इसमें कैल्शियम, फ़ॉस्फ़रस, विटामिन ए, बी तथा सी पर्याप्त मात्रा में पाये जाते है।
भूमि व खेत की तैयारी
भिंडी के लिये दीर्घ अवधि का गर्म व नम वातावरण श्रेष्ठ माना जाता है। बीज उगने के लिये 27-30 डिग्री से०ग्रे० तापमान उपयुक्त होता है तथा 17 डि से० ग्रे से पर बीज अंकुरित नहीं होते। यह फ़सल ग्रीष्म तथा खरीफ, दोनों ही ऋतुओं में उगाई जाती है। भिंडी को उत्तम जल निकास वाली सभी तरह की भूमि में उगाया जा सकता है। भूमि का पी एच० मान 7 से 7.8 होना उपयुक्त रहता है।
उत्तम क़िस्में
पूसा ए -4 : यह भिंडी की एक उन्नत क़िस्म है। यह पीतरोग येलोवेन मोजोइक रोधी है। फल मध्यम आकार के गहरे, कम लेस वाले तथा आकर्षक होते है। बोने के लगभग 15 दिन बाद से फल आना शुरू हो जाते है। इसकी औसत पैदावार ग्रीष्म में 10 टन व खरीफ में 15 टन प्रति है० है।
परभनी क्रांति : यह क़िस्म पीत-रोगरोधी है। फल बुआई के लगभग 50 दिन बाद आना शुरू हो जाते है। फल गहरे हरे एवं 15-18 सें०मी० लम्बे होते है। इसकी पैदावार 9-12 टन प्रति है० है।
पंजाब -7 : यह क़िस्म भी पीतरोगीरोधी है। फल हरे एवं मध्यम आकार के होते है। बुआई के लगभग 55 दिन बाद फल आने शुरू हो जाते है। इसकी पैदावार 8-20 टन प्रति है० है।
इसके अलावा भिंडी की अन्य उन्नत किस्में है - पंजाब पद्मिनी , हिसार उन्नत व वर्षा उपहार।
बीज की मात्रा व बुआई का तरीक़ा
सिंचित अवस्था में पंजाब, राजस्थान व हरियाणा में 2.5 से 3 कि०ग्रा० तथा असिंचित दशा में 5-7 कि०ग्रा० प्रति हेक्टेअर की आवश्यकता होती है। उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में 5 से 7 कि०ग्रा० प्रति हेक्टेअर बीज कीझ संस्तुति दी गयी है। लाइन से लाइन की दूरी 30 सें०मी०, पौधे से पौधे की दूरी 10 सें०मी० व 2 से 3 सें०मी० गहरी बुवाई करनी चाहिए।
ग्रीष्म ऋतु में 30 x 15 सें०मी० वर्षा में 45 x 70 x 20 x 25 सें०मी० की दूरी पर बुआई करनी चाहिए ।
बुआई का समय
भिंडी के बीज सीधे खेत में ही बोये जाते है। बीज बोने से पहले खेत को तैयार करने के लिये 2-3 बार जुताई करें। पूरे खेत को उचित आकार की पट्टियों में बांट लें जिससे कि सिंचाई करने में सुविधा हो। वर्षा ऋतु में जल निकास की दृष्टि से क्यारियों को तैयार करें।
खाद और उर्वरक
प्रति हेक्टेअर क्षेत्र में लगभग 15-20 टन गोबर की खाद 300 कि० ग्रा० अमोनियम सल्फ़ेट या 400 कि० ग्रा० सुपर फ़ॉस्फ़ेट एवं 100 कि० ग्रा० उत्तमवीर यूरिया 15 दिन के अन्तर पर 2 किश्तों में डालना चाहिए। ग्रीष्म ऋतु में हर 5-7 दिन बाद तथा ऋतु में आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए ।
गीष्म ऋतु में हर दिन, बाद वर्षा ऋतु में आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए।
निराई व सिंचाई
सिंचाई मार्च में 10-12 दिन, अप्रैल में 7-8 दिन और मई-जून मे 4-5 दिन के अन्तर पर करें। बरसात में यदि बराबर वर्षा होती है तो सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है ।
पौध संरक्षण
तना, फल छेदक एवं फुदका इसके नियन्त्रण के लिये 100-150 मि०ली० इमिडावीर प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए। फलों को छिड़काव से पहले तोड़ लेना चाहिए तथा इसके अलावा कीड़ा लगे फलों को तोड़ कर ज़मीन में गाड़ देना चाहिए।
पीत रोग, येलो बेन मौजेक यह भिंडी का प्रमुख रोग है। इस रोग में पत्तियों की शिराएँ पीली पड़ने लगती हैं अन्ततः पूरा पौधा एवं फल पीले हो जाते हैं। इस रोग से बचाने के लिये रोगरोधी क़िस्मों का ही प्रयोग करना चाहिए।
कटाई व उपज
भिंडी की तुड़ाई हर तीसरे या चौथे दिन आवश्यक हो जाती है। तोड़ने में थोडा भी अधिक समय हो जाने पर फल कडा हो जाता है। फल को फूल खिलने के 5-7 दिन के भीतर अवश्य तोड़ लेना चाहिए।उचित देखरेख, उचित क़िस्म व खाद- उर्वरकों के प्रयोग से प्रति हेक्टेअर 130-150 कुन्तल हरी फलियाँ प्राप्त हो जाती हैं.... Read more
Saturday, 14 September 2013
tea-cofee
चाय-काफी में दस प्रकार के जहर
1. टेनिन नाम का जहर 18 % होता है, जो पेट में छाले तथा पैदा करता है।

3. कैफीन नामक जहर 2.75 % होता है, जो शरीर में एसिड बनाता है तथा किडनी को कमजोर करता है।
4. वॉलाटाइल नामक जहर आँतों के ऊपर हानिकारक प्रभाव डालता है।
5. कार्बोनिक अम्ल से एसिडिटी होती है।
6. पैमिन से पाचनशक्ति कमजोर होती है।
7. एरोमोलीक आँतड़ियों के ऊपर हानिकारक प्रभाव डालता है।
8. साइनोजन अनिद्रा तथा लकवा जैसी भयंकर बीमारियाँ पैदा करती है।
9. ऑक्सेलिक अम्ल शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक है।
10. स्टिनॉयल रक्तविहार तथा नपुंसकता पैदा करता है।
इसलिए चाय अथवा कॉफी कभी नहीं पीनी चाहिए और अगर पीनी ही पड़े तो आयुर्वैदिक चाय पीनी चाहिए.......... Read more
Friday, 13 September 2013
banana
केले के लाभ
केले में पोटैशियम पाया जाता है, जो
कि ब्लडप्रेशर के मरीज के लिए बहुत फायदेमंद है।
ज्यादा शराब पीने से हैंगओवर को उतारनेमें केले का मिल्क शेक बहुत फायदेमंदहोता है। केले का शेक पेट को ठंडक पहुंचाता है। केला ब्लड शुगर नियंत्रित करता है। केले में काफी मात्रा में फाइबरपाया जाता है। केला पाचन क्रिया को सुचारु करता है। अल्सर के मरीजों के लिए केले का सेवन फायदेमंद होता है।
केले में आयरन भरपूर मात्रा में होता है,जिसके कारण खून में हीमोग्लोबिनकी मात्रा बढ़ती है।
तनाव कम करने में भी मददगार है केला- केले में ट्राइप्टोफान नामकएमिनो एसिड होता है जिससे मूडको रिलैक्स होता है।
दिल के लिए – दिल के मरीजों के लिएकेला बहुत फायदेमंद होता है। हर रोज दो केले को शहद में डालकर खाने से दिलमजबूत होता है और दिलकी बीमारियां नहीं होती हैं।
बुजुर्गों के लिए फायदेमंद –केला बुजुर्गों के लिए सबसे अच्छा फल है। क्योंकि इसे बहुत ही आसानी से छीलकरखाया जा सकता है। इसमें विटामिन-सी, बी6 और फाइबर होता है जो बढ़ती उम्र मेंजरूरी होता है। बुढ्ढों में पेट के विकार को भी यह समाप्त करता है।
वजन बढ़ाने के लिए – वजन बढ़ाने के लिएकेला बहुत मददगार होता है। हर रोज केलेका शेक पीने से पतले लोग मोटे हो सकते हैं।इसलिए पतले लोगों को वजन बढाने केलिए केले का सेवन करना चाहिए।
नकसीर के लिए – अगर नाक से खूननिकलने की समस्या है तो केले को चीनी मिले दूध के साथ एक सप्ताह तकइस्तेमाल कीजिए। नकसीर का रोगसमाप्त हो जाएगा।
बच्चों के लिए – बच्चों के विकास केलिए केला
बहुत फायदेमंद होता है। केले में मिनरल और विटामिन पाया जाता हैजिसका सेवन करने से
बच्चों का विकास अच्छे से होता है। इसलिए बच्चों की डाइटमें केले को जरूर शमिल
करना चाहिए...........Read more
Thursday, 12 September 2013
stomuch disease
पेट की बीमारियां
पेट की बीमारियों से परेशान होने वाले लोग यदि अपनी डाइट में प्रचूर मात्रा में दही को शामिल करें तो अच्छा होगा।
इसमें अच्छे बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो पेट की बीमारी को ठीक करते हैं। पेट में जब अच्छे किस्म् के बैक्टीरिया की कमी हो जाती है तो भूख न लगने जैसी तमाम बीमारियां पैदा हो जाती हैं।इस स्थिति में दही सबसे अच्छा भोजन बन जाता है। यह इन तत्वों को हजम करने में मदद करता है... Read more
इसमें अच्छे बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो पेट की बीमारी को ठीक करते हैं। पेट में जब अच्छे किस्म् के बैक्टीरिया की कमी हो जाती है तो भूख न लगने जैसी तमाम बीमारियां पैदा हो जाती हैं।इस स्थिति में दही सबसे अच्छा भोजन बन जाता है। यह इन तत्वों को हजम करने में मदद करता है... Read more
Wednesday, 11 September 2013
About diabetes
मधुमेह या चीनी की बीमारी एक खतरनाक रोग है। यह बीमारी में हमारे शरीर में अग्नाशय द्वारा इंसुलिन का स्त्राव कम हो जाने के कारण होती है। रक्त ग्लूकोज स्तर बढ़ जाता है, साथ ही इन मरीजों में रक्त कोलेस्ट्रॉल, वसा के अवयव भी असामान्य हो जाते हैं। .
मधुमेह (Blood Sugar) के रोगियों में सेक्स या जननेन्द्रिय सम्बन्धी समस्याओं की संभावना अधिक होती है।मधुमेह अपने पंजों को काफी फैला चुका है।
भारत खास कर दिन-ब-दिन गिरफ्त में फँसता जा रहा है। भारत में आजकल 30 से 40 वर्ष के लोगों के बीच मधुमेह काफी हो रहा है। मधुमेह के मुख्य लक्षण थकान, कमजोरी, पैरों में दर्द, चिकित्सा विज्ञान की तमाम प्रगति एवं उपलब्धियों के बावजूद अनेक बीमारियों की जननी मानी जाने वाली बीमारी मधुमेह आज तक लाइलाज बनी हुयी है
weight of human
शरीर का अपेक्षित वजन
![]() |
वजन |
एक युवा व्यक्ति के शरीर का अपेक्षित वजन उसकी लंबाई के अनुसार होना चाहिए, जिससे कि उसका शारीरिक गठन अनुकूल लगे। धिक दुबले पतले शरीर मे शक्ति भी कम हो जाती है। नि:शक्त जन अपनी दिनचर्या सही ढंग से संपन्न करने में थकावट मेहसूस करते है। इस लेख में कतिपय ऐसे उपचारों की चर्चा की जाएगी जिनसे आप अपने शरीर का वजन बढा सकते हैं-मनुष्य को प्रकृति की ओर से संतुलित और सुडौल शरीर मिलता है, पर वह गलत रहन-सहन, बुरी आदत तथा खान-पान में अनियमितता के कारण इस शरीर को बेडौल बना लेता है। वैज्ञानिक रूप से मोटापा हम उसे कहते हैं जिसमें शरीर का वजन ऊँचाई के मान से अधिक होता है कई लोग गर्मियों में वजन घटाना चाहते हैं। उन्हें गर्मी का मौसम वजन घटाने वाला मौसम लगता है, लेकिन यह ऐसा मौसम है जब बहुत अधिक कैलोरी ग्रहण करने, सुस्ती तथा व्यायाम में कोताही आदि कारणों से शरीर का वजन भी बढ़ा सकता है। Read more.......
Tuesday, 10 September 2013
lemon
नींबू
10 ग्राम नींबू के पत्तों का रस (अर्क) में 10 ग्राम शहद मिलाकर पीने से 10-15 दिनों में पेट के कीड़े मरकर नष्ट हो जाते हैं। नींबू के बीजों के चूर्ण की फंकी लेने से कीड़ों का विनाश होता है। नींबू पानी गरमी में राहत दिलाता है। शरीर में गरमी और उमस के चलते कम हुए लवणों की मात्रा को भी नियंत्रित करता है। नींबू में कई गुण भी होते हैं।नींबू त्वचा के रोग, मसूढ़ों की सूजन, गले की खराश, टांसिल के रोगों में भी आराम पहुंचाता है, साथ ही आंख कान के रोगों में भी फायदा करता है।नींबू का अनोखा गुण यह है कि इसकी खट्टी खुशबू खाने से पहले ही मुँह में पानी ला देती है। चाट हो या दाल कोई भी व्यंजन इसके प्रयोग से और भी सुस्वादु हो जाता है। यह फल खट्टा होने के साथ-साथ बेहद गुणकारी भी है। शुद्ध शहद में नींबू की शिकंजी पीने से मोटापा दूर होता है। 2 नींबू के सेवन से सूखा रोग दूर होता है। 3 नींबू का रस एवं शहद एक-एक तोला लेने से दमा में आराम मिलता है। 4 नींबू का छिलका पीसकर उसका लेप माथे पर लगाने से माइग्रेन ठीक होता है।10 ग्राम नींबू के पत्तों का रस (अर्क) में 10 ग्राम शहद मिलाकर पीने से 10-15 दिनों में पेट के कीड़े मरकर नष्ट हो जाते हैं। नींबू के बीजों के चूर्ण की फंकी लेने से कीड़ों का विनाश होता है।
नींबू का सौंदर्य लाभ केवल यहीं पर नहीं समाप्त होता है बल्कि इसेस बालों की डैंड्रफ भी साफ हो जाती है। अगर बाल झड़ रहें हो तो आप नींबू के रस में नारियल पानी मिला कर बालों में लगा लीजिये, इससे बाल झड़ना बंद हो जाएंगे। नींबू शरीर को शीतलता एवं ताजगी प्रदान करता है। यह शरीर की गर्मी को भी शांत करता है। इसके रस को चाय में डालकर पिएँ या एक नींबू को पाँच बराबर-बराबर भागों में काटकर तीन गिलास पानी में डालकर एक गिलास पानी रह जाने तक धीमी आँच में उबालें। नींबू पानी गरमी में राहत दिलाता है। शरीर में गरमी और उमस के चलते कम हुए लवणों की मात्रा को भी नियंत्रित करता है। नींबू में कई गुण भी होते हैं। लेकिन, इन तमाम खूबियों के साथ ही नींबू में एक सबसे बड़ा गुण होता है नींबू-पानी शरीर को ताजगी से भर देता है क्योंकि यह विटामिन सी का एक अच्छा जरिया है।वजन घटाने में कारगर नींबू पानी. नींबू में कई औषधीय गुण भी होते हैं. लेकिन, इन तमाम खूबियों के साथ ही नींबू में एक सबसे बड़ा गुण होता है वजन को नियंत्रित करना. नींबू पानी (बिना शक्कार) का पूरी तरह से कैलोरी फ्री होता है.
NATURALLY WEIGHT REDUCE
NATURALLY WEIGHT REDUCE
Obesity can RISK your health,Reduce your Weight by Natural
Way- 10 Effective Home Remedies for Losing Weight ~
1. One should avoid intake of too much salt. Salt may be a
factor for increasing the body weight.
2. Spices like dry ginger, cinnamon, black pepper etc. are
good for loosing weight and can be used in a number of ways.
3. Cabbage is considered to be an effective remedy for
loosing weight. This vegetable inhibits the conversion of sugar and other
carbohydrates into fat. Hence, it is of great value in weight reduction. It can
be taken raw or cooked.
4. Lime juice is excellent for weight reduction. Juice of a
lime mixed in a glass of warm water and sweetened with honey should be taken
every morning on an empty stomach.
5. Fruits and green vegetables are low caloriefoods, so over
weight persons should use these more frequently.
6. Milk products like cheese, butter should be avoided
because these are rich in fat. Meat and non-vegetarian foods should also be
avoided.
7. Vegetables like bitter gourd (Karela), and bitter variety
of drumstick are useful for loosing weight.
8. Taking of honey is an excellent home remedy for obesity. It
mobilizes the extra deposited fat in the body and puts it into circulation, which
is utilized as energy for normal functions. One should start with small
quantity of about 10 GMs. or a table spoonful to be taken with hot water. It is
good to take it in early morning. A teaspoonful of fresh lemon juice may also
be added.
9. Exercise is an
important part of weight reduction plan. It helps to use up calories stored in
body as fat. In addition, it also relieves tension and tones up the muscles of
the body. Walking is thebest exercise to begin with and may be followed by
running, swimming, rowing.
10. Measure the portions of your food every meal and make
sure that the portions are small. For example one portion of rice should not be
more than the quantity which can fit in your fist. Smaller meals at a regular
interval of 4 to 5 hours will keep your metabolism high and prevent your body
from converting the food you intake into fat. You must also include regular
exercise in your daily routine to help enhance weight reduction.
ITCHING IT
खुजली
खुजली एक त्वचा रोग है, जिससे
ब्याक्ति काफी परेशान और निराश हो जाता है। खुजली के लिए सबसे कारगर उपाय है तेल
की मालिश जिससे रूखी और बेजान त्वचा को नमी मिलती है।
1. नींबू का रस बराबर मात्रा में अलसी के तेल के साथ
मिलाकर खुजली वाली जगह पर मलने से हर तरह की खुजली से छुटकारा मिलता है।

2. खुजली से परेशान लोगों को चीनी और मिठाई नहीं खानी चाहिए।
परवल का साग, टमाटर, नीबू का रस आदि का सेवन लाभप्रद है।
3. नारियल तेल का दो चम्मच लेकर उसमें एक चम्मच टमाटर
का रस मिलाइए। फिर खुजली वाले स्थान पर भली प्रकार से मालिश करिए। उसके कुछ समय
बाद गर्म पानी से स्नान कर लें। एक सप्ताह ऐसा लगातार करने से खुजली मिट जाएगी।
4. हफ्ते में दो बार मुल्तानी मिट्टी और नीम की पत्ती
का लेप लगाएं, उसके बाद साफ पानी
से शरीर को धो लें।
5. साबुन का प्रयोग जितना भी हो सकता है कम कर दें और
सिर्फ मृदु साबुन का ही प्रयोग करें।
6. खुजली होने पर प्राथमिक सावधानी के तौर पर सफाई का
पूरा ध्यान रखिए।
7. शुष्क त्वचा के कारण होने वाली खुजली को दूध की क्रीम
लगाने से कम किया जा सकता है।
8. अगर आपको कब्ज है तो उसका भी इलाज करवाएं।
9. थोडा सा कपूर लेकर उसमें दो बड़े चम्मच नारियल का तेल
मिलाकर खुजली वाले स्थान पर नियमित लगाने से खुजली मिट जाती है। हां, तेल को हल्का सा गरम करके ही कपूर में मिलाए।
10. यदि गेहूं के आटे को पानी में घोल कर उसका लेप लगाया
जाए, तो विविध चर्म रोग, खुजली, टीस, फोडे-फुंसी
के अलावा आग से जले हुए घाव में भी राहत मिलती है।
11. सवेरे खाली पेट 30-35 ग्राम नीम का रस पीने से चर्म रोगों में लाभ होता है,
क्योंकि नीम का रस रक्त को साफ करता
है।
12. खुजली वाली त्वचा पर नारियल तेल अथवा अरंडी का तेल
लगाने से बहुत फायदा मिलता है।
13. अगर खुजली पूरे शरीर में फैल रही है तो 3 या 4 दिनों तक पीसी हुई अरहर की दाल दही में मिश्रित करके पूरे शरीर पर लगायें।
इससे खुजली फैलने से रुक जायेगी और जल्द ही गायब भी हो जायेगी।
Monday, 9 September 2013
Health & Fitness, Health tips, Health information: Honey
Health & Fitness, Health tips, Health information: Honey: शहद का सेवन करने के नियम शहद कभी खराब नहीं होता मधु या शहद एक मीठा, चिपचिपाहट वाला अर्ध तरल पदार्थ होता है जो मधुमक्खियों द्वारा पौधों क...
Honey
शहद का सेवन करने के नियम
शहद कभी खराब नहीं होता मधु या शहद एक मीठा, चिपचिपाहट वाला अर्ध तरल पदार्थ होता है जो मधुमक्खियों द्वारा पौधों के पुष्पों में स्थित मकरन्दकोशों से स्रावित मधुरस से तैयार किया जाता है और आहार के रूप में मौनगृह में संग्रह किया जाता है।
शरीर को स्वस्थ, निरोग और उर्जावान बनाये रखने के लिये शहद को आयुर्वेद में अमृत भी कहा गया है.शहद सस्ता पौष्टिक भोजन है, जो रक्त में मिलकर ऊष्मा तथा शरीर को बल प्रदान करता है। शहद जैसा उपयोगी, गुणकारी, पौष्टिक एवं सुपाच्य दूसरा आहार नहीं है। शहद औषधीय गुणों की वजह से अनेक बीमारियों में उपयोग होता रहा है। शहद का प्रयोग जहां आंखों की रोशनी बढ़ाने तथा कफ एवं अस्थमा और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में कारगर सिद्ध हुआ है, यूं तो सभी मौसमों में शहद का सेवन लाभकारी है, लेकिन सर्दियों में तो शहद का प्रयोग विशेष लाभकारी होता है। नियमित रूप ... शहद के औषधीय गुणों के कारण अनेक बीमरियों से छुटाकरा पाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है....Read more
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शहद का सेवन अवश्य करें। |
Sunday, 8 September 2013
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www.jkhealthworld.com की तरफ से सभी को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं
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Friday, 6 September 2013
Acupressure reflection point on the body, Acupoints, Miraculous mirrors of the body-reflex centers
आयु्र्वेदा और होम्योपैथिक की तरह एक्युप्रेशर और एक्युपंचर से भी चिकित्सा की जाती है। इनका जन्म लगभग एक साथ ही हुआ था। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसका जन्म भारत में लगभग 6,000 साल पहले हुआ था और चीनी व्यापारियों के कारण यह भारत से चीन ले जाया गया था।
प्राचीन काल मे भी चरक जैसे
बड़े चिकित्सकों ने भी इस पद्धति का लाभ मालिश व मसाज के रूप मे लिया है।
आज एक्युप्रेशर द्वारा कई डॉक्टर तथा विशेषज्ञ गंभीर से गंभीर रोग का इलाज आसानी से कर देते है। इस पद्धति में बिना दवा तथा आप्रेशन के रोगी को रोग मुक्त किया जा सकता है और इसे हर जगह और हर समय अपनाया जा सकता.....Read more
Thursday, 5 September 2013
Health & Fitness, Health tips, Health information: Laughing
Health & Fitness, Health tips, Health information: Laughing: हंसना संसार का प्रत्येक व्यक्ति जिस प्रकार की भावना अपने मन में रखता है उसी प्रकार का हो जाता है। हंसना भी एक प्रकार का लाभकारी व्या...
Laughing
हंसना
संसार का प्रत्येक व्यक्ति जिस प्रकार की
भावना अपने मन में रखता है उसी प्रकार का हो जाता है। हंसना भी एक प्रकार का लाभकारी व्यायाम है और हम विभिन्न मानसिक विकारों से दूर रहते हैं।
प्रत्येक का स्वभाव
स्वयं ही उसके अपने विचार होते हैं। प्रारम्भ से ही हम जिस वातावरण में
रहते हैं उसी के अनुसार ढल जाते हैं। वास्तव में प्रसन्नता एक अद्भुत शक्ति
होती है जो हतोत्साहित होने पर हमें धैर्य प्रदान करती है। प्रसन्नता
गरीबों को धनवान बना देती है तथा असहाय होने पर सच्ची मित्र होती है----- Read more
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हंसना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। |
Wednesday, 4 September 2013
apple
सेब
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apple fruit |
सेब एक ऐसा फल है जो प्राचीन काल से ही मनुष्यों का आहार रहा है। इसे एक अच्छा पौष्टिक फल माना जाता है। अंग्रेजी में एक कहावत है कि- ''एन एप्पल ए डे कीप्स द डॉक्टर अवे'' अर्थात् इसे रोज खाया जाए तो अनेकों बीमारियों से बचेंगे और अनेक रोगों में लाभदायक भी है। सेब एक ऐसा फल है जो विश्व में हर जगह बारहों महीने मिलता है। लोगों का विश्वास है कि एक सेब रोज़ खाने से सभी बिमारियाँ दूर रहती हैं। विश्व मे सेब की ७००० से अधिक प्रजातियाँ उगाई जाती हैं। सेब ताज़ा है या नहीं यह देखने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसे पानी में डाल दिया जाय। ताज़ा सेब पानी पर तैरता है क्योंकि इसमें २५ प्रतिशत मात्रा हवा की होती है।
सेब को काटने के बाद अगर नमक के पानी से धो दिया जाए तो वे काले नहीं पड़ते। सेब को बीमारियों से बचाने के लिए कीटनाशक छिड़के जाते है, इसलिए सेब खाने से पहले अच्छी तरह धो लेना आवश्यक है। अंग्रेजी में कहा गया है, "एन एपल ए डे", कीप्स द डॉक्टर अवे" अर्थात् एक सेब रोज खाओ और डॉक्टर को दूर भगाओ। सेब पौष्टिक तत्वों से भरा है। ये न केवल रोगों से लड़ने में मदद करता है बल्कि आपके शरीर को भी स्वस्त रखता है। वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि सेब के सेवन से ह्वदय रोग, कैंसर, मधुमेह के साथ ही दिमागी बीमारियों जैसे पार्किंसन और अल्जाइमर आदि में भी आराम मिलता है। सेब रेशे वाला फल है इसीलिए इसमें में फाइबर भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। सेब को खाने से पाचन तंत्र भी सही रहता है। यह एक अच्छा एंटी ओक्सिडेंट भी है जो मधुमेह, कैंसर, और दिमाग से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में भी मदद करता है। सेब शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को सामान्य करता है। जिससे मधुमेह के रोगियों को लाभ होता है। आइये और जानते हैं सेब खाने के लाभों के बारे में और देखते हैं कि कैसे यह जादुई फल हमें स्वस्थ्य रखता है........... For more click here
सेब को काटने के बाद अगर नमक के पानी से धो दिया जाए तो वे काले नहीं पड़ते। सेब को बीमारियों से बचाने के लिए कीटनाशक छिड़के जाते है, इसलिए सेब खाने से पहले अच्छी तरह धो लेना आवश्यक है। अंग्रेजी में कहा गया है, "एन एपल ए डे", कीप्स द डॉक्टर अवे" अर्थात् एक सेब रोज खाओ और डॉक्टर को दूर भगाओ। सेब पौष्टिक तत्वों से भरा है। ये न केवल रोगों से लड़ने में मदद करता है बल्कि आपके शरीर को भी स्वस्त रखता है। वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि सेब के सेवन से ह्वदय रोग, कैंसर, मधुमेह के साथ ही दिमागी बीमारियों जैसे पार्किंसन और अल्जाइमर आदि में भी आराम मिलता है। सेब रेशे वाला फल है इसीलिए इसमें में फाइबर भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। सेब को खाने से पाचन तंत्र भी सही रहता है। यह एक अच्छा एंटी ओक्सिडेंट भी है जो मधुमेह, कैंसर, और दिमाग से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में भी मदद करता है। सेब शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को सामान्य करता है। जिससे मधुमेह के रोगियों को लाभ होता है। आइये और जानते हैं सेब खाने के लाभों के बारे में और देखते हैं कि कैसे यह जादुई फल हमें स्वस्थ्य रखता है........... For more click here
Monday, 2 September 2013
health news
BRAIN DAMAGING HABITS
1. No Breakfast
People who do not take breakfast are going to have a lower blood sugar level.
This leads to an insufficient supply of nutrients to the brain causing brain degeneration.
1. No Breakfast
People who do not take breakfast are going to have a lower blood sugar level.
This leads to an insufficient supply of nutrients to the brain causing brain degeneration.
2. Overeating
It causes hardening of the brain arteries, leading to a decrease in mental power.
3. Smoking
It causes multiple brain shrinkage and may lead to Alzheimer disease.
4. High Sugar consumption
Too much sugar will interrupt the absorption of proteins and nutrients causing malnutrition and may interfere with brain development.
5. Air Pollution
The brain is the largest oxygen consumer in our body. Inhaling polluted air decreases the supply of oxygen to the brain, bringing about a decrease in brain efficiency.
6. Sleep Deprivation
Sleep allows our brain to rest. Long term deprivation from sleep will accelerate the death of brain cells.
7. Head covered while sleeping
Sleeping with the head covered increases the concentration of carbon dioxide and decrease concentration of oxygen that may lead to brain damaging effects.
8. Working your brain during illness
Working hard or studying with sickness may lead to a decrease in effectiveness of the brain as well as damage the brain.
9. Lacking in stimulating thoughts
Thinking is the best way to train our brain, lacking in brain stimulation thoughts may cause brain shrinkage.
10. Talking Rarely
Intellectual conversations will promote the efficiency of the brain.

For More Health Tips
exercise
व्यायाम
व्यायाम की दुनिया में आजकल दौड़ना लोकप्रिय है। बाकी दुनिया की ही तरह भारत में भी लंबी दौड़ लगाने वालों के संगठन बन गए हैं, जो हाफ मैराथन, मैराथन, सुपर मैराथन वगैरह आयोजित करते रहते हैं। दौड़ाकों
पिछले दिनों इस विषय पर कुछ अध्ययन हुए हैं। इन अध्ययनों से पता चलता है कि सेहत के लिहाज से दोनों ही बेहतरीन व्यायाम हैं, लेकिन दोनों के फायदे कुछ अलग-अलग हैं। दौड़कर या चलकर लगभग समान कैलोरी खर्च करने वाले दो समूहों की तुलनात्मक जांच से यह मालूम हुआ कि वजन घटाने और कम वजन बनाए रखने के लिहाज से दौड़ना ज्यादा अच्छा व्यायाम है। दौड़ने वालों की कमर की नाप और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) चलने वालों से कहीं बेहतर साबित हुए। बाकी कई फायदे दोनों ही समूहों के लिए एक जैसे थे, लेकिन यह पाया गया कि दिल की सेहत के लिए चलने से ज्यादा फायदा होता है। यानी अगर आपका मुख्य जोर वजन घटाने पर है, तो दौड़िए और अगर दिल का मामला है, तो तेज चलना अच्छा है। दौड़ने से वजन ज्यादा घटने की कई वजहें हैं। एक महत्वपूर्ण वजह तो यह है कि दौड़ने से मेटाबॉलिज्म ज्यादा तेज होता है, इसलिए ऊर्जा ज्यादा खर्च होती है। एक सुझाव यह भी है कि चलने या दौड़ने से पहले कुछ दूसरे व्यायाम करने, मसलन भार उठाने से वजन ज्यादा घटता है, क्योंकि इससे मेटाबॉलिज्म और भी ज्यादा तेज हो जाता है। अध्ययन में एक चीज यह सामने आई, दौड़ने से पेट में एक एंजाइम पेप्टाइड वाई वाई ज्यादा बनता है। यह एंजाइम भूख पर नियंत्रण रखता है, इसलिए दौड़ने वालों की खुराक चलने वालों से कम होती है। यह देखा गया कि नियमित चलने वालों से अनियमित दौड़ने वालों का भी वजन कम रहा।
पिछले दिनों इस विषय पर कुछ अध्ययन हुए हैं। इन अध्ययनों से पता चलता है कि सेहत के लिहाज से दोनों ही बेहतरीन व्यायाम हैं, लेकिन दोनों के फायदे कुछ अलग-अलग हैं। दौड़कर या चलकर लगभग समान कैलोरी खर्च करने वाले दो समूहों की तुलनात्मक जांच से यह मालूम हुआ कि वजन घटाने और कम वजन बनाए रखने के लिहाज से दौड़ना ज्यादा अच्छा व्यायाम है। दौड़ने वालों की कमर की नाप और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) चलने वालों से कहीं बेहतर साबित हुए। बाकी कई फायदे दोनों ही समूहों के लिए एक जैसे थे, लेकिन यह पाया गया कि दिल की सेहत के लिए चलने से ज्यादा फायदा होता है। यानी अगर आपका मुख्य जोर वजन घटाने पर है, तो दौड़िए और अगर दिल का मामला है, तो तेज चलना अच्छा है। दौड़ने से वजन ज्यादा घटने की कई वजहें हैं। एक महत्वपूर्ण वजह तो यह है कि दौड़ने से मेटाबॉलिज्म ज्यादा तेज होता है, इसलिए ऊर्जा ज्यादा खर्च होती है। एक सुझाव यह भी है कि चलने या दौड़ने से पहले कुछ दूसरे व्यायाम करने, मसलन भार उठाने से वजन ज्यादा घटता है, क्योंकि इससे मेटाबॉलिज्म और भी ज्यादा तेज हो जाता है। अध्ययन में एक चीज यह सामने आई, दौड़ने से पेट में एक एंजाइम पेप्टाइड वाई वाई ज्यादा बनता है। यह एंजाइम भूख पर नियंत्रण रखता है, इसलिए दौड़ने वालों की खुराक चलने वालों से कम होती है। यह देखा गया कि नियमित चलने वालों से अनियमित दौड़ने वालों का भी वजन कम रहा।
को जरूरी मशविरा और सहायता देने वाले लोग भी काफी हैं। शायद आज की आधुनिक सुविधाओं व उपकरणों से भरी दुनिया में दौड़ना आदिम खुशी का प्रतीक बन गया है। इसके बरक्स पैदल चलना या टहलना हमेशा से सबसे ज्यादा लोकप्रिय व्यायाम रहा है। कुछ लोग रोज टहलते हैं, कुछ को बीच-बीच में खयाल आता है कि वजन बढ़ रहा है, तो वे कुछ दिन टहलते हैं और फिर छोड़ देते हैं। महात्मा गांधी रोज दस मील टहलते थे। सरदार पटेल के बारे में कहा जाता है कि वह राजा-नवाबों को सुबह की सैर पर ले जाते थे और आराम के आदी राजा-नवाब सैर खत्म होने से पहले ही सरदार पटेल की शर्तो पर भारत में विलय के लिए मान जाते थे। लेकिन सवाल यह है कि सेहत के लिहाज से क्या बेहतर है, दौड़ना या चलना? अगर दौड़कर या चलकर समान कैलोरी खर्च की जाए, तो किससे ज्यादा फायदा होगा?
पसीना बहाना भी एक कला है
अपने शरीर को वांछित आकार देने की ख्वाहिश में लोग तमाम जतन कर रहे हैं। जिमनेजियम का चलन भी हाल के सालों में काफी बढ़ा है। हालांकि नियमित व्यायाम के बाद भी अपेक्षित परिमाण न मिलने की शिकायत आम है। कई बार कुछ परेशानियां भी हो जाती हैं इसलिए व्यायाम करते हुए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
पसीना बहाने से ही वजन कम नहीं होता। पसीना बहाने का मतलब है कि आपने पानी के वजन को कम किया है, यानी कोई लिक्विड लेने के साथ ही आप उतना ही वजन दोबारा हासिल कर लेते हैं। प्रायः लोगों को, जो लोग वजन घटाना चाहते हैं, पता ही नहीं होता कि व्यायाम की सही प्रणाली क्या है या मशीन का सही इस्तेमाल कैसे हो। हरेक की जरूरत के अनुसार एक अलग एक्सरसाइज प्लान भी होता है, जिसकी जानकारी जरूरी है।
अपने शरीर को वांछित आकार देने की ख्वाहिश में लोग तमाम जतन कर रहे हैं। जिमनेजियम का चलन भी हाल के सालों में काफी बढ़ा है। हालांकि नियमित व्यायाम के बाद भी अपेक्षित परिमाण न मिलने की शिकायत आम है। कई बार कुछ परेशानियां भी हो जाती हैं इसलिए व्यायाम करते हुए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
पसीना बहाने से ही वजन कम नहीं होता। पसीना बहाने का मतलब है कि आपने पानी के वजन को कम किया है, यानी कोई लिक्विड लेने के साथ ही आप उतना ही वजन दोबारा हासिल कर लेते हैं। प्रायः लोगों को, जो लोग वजन घटाना चाहते हैं, पता ही नहीं होता कि व्यायाम की सही प्रणाली क्या है या मशीन का सही इस्तेमाल कैसे हो। हरेक की जरूरत के अनुसार एक अलग एक्सरसाइज प्लान भी होता है, जिसकी जानकारी जरूरी है।
Sunday, 1 September 2013
health
We strongly believe in the power of the Healthy Living Blogs community
and are always looking for fresh, exciting ways to promote one another
and nurture the relationships between bloggers in our genre. The beauty
of the healthy living blog community is that it is diverse; cliché or
not, there’s something for everyone. We think you’ll find that HLB is a
community worth talking about---------
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