Monday, 28 October 2013

Interesting facts bout Human Body.

Interesting facts bout Human Body

1. एक वयस्क व्यक्ति के शरीर में 206 हड्डियाँ होती हैं जबकि बच्चे के शरीर में 300 हड्डियाँ होती हैं (क्योंकि उनमें से कुछ गल जाती हैं और कुछ आपस में मिल जाती हैं)।
2. मनुष्य के शरीर में सबसे छोटी हड्डी स्टेप्स या स्टिरुप (stapes or stirrup) होती है जो कि कान के बीच में होती है तथा जिसकी लंबाई लगभग 11 इंच (.28 से.मी.) होती है।
3. मनुष्य के शरीर में मोटोर न्यूरोन्स (motor neurons) सबसे लंबी सेल होती है जो कि रीढ़ की हड्डी से शुरू होकर पैर के टखने तक जाती है और जिसकी लंबाई 4.5 फुट (1.37 मीटर) तक हो सकती है।
4. मनुष्य की जाँघों की हड्डियाँ कंक्रीट से भी अधिक मजबूत होती हैं। मनुष्य की आँखों का आकार जन्म से लेकर मृत्यु तक एक ही रहता है जबकि नाक और कान के आकार हमेशा बढ़ते रहते हैं।
5. आदमी एक साल में औसतन 62,05,000 बार पलकें झपकाता है।,खाए गए भोजन को पचने में लगभग 12 घण्टे लगते हैं।
6. मनुष्य के जबड़ों की पेशियाँ दाढ़ों में 200 पौंड (90.8 कि.ग्रा.) के बराबर शक्ति उत्पन्न करती हैं।
7. अभी तक प्राप्त आँकड़ों के अनुसार सबसे भारी मानव मस्तिष्क का वजन 5 पौंड 1.1 औंस. (2.3 कि.ग्रा..) पाया गया है।
8. एक सामान्य मनुष्य अपने पूरे जीवनकाल में भूमध्य रेखा के पाँच बार चक्कर लगाने जितना चलता है।
9. मनुष्य की मृत्यु हो जाने के बाद भी बाल और नाखून बढ़ते ही रहते हैं।
मनुष्य की चमड़ी के भीतर लगभग45 मील (72 कि.मी.) लंबी तंत्रिकाएँ (नसें) होती हैं।
10. मनुष्य के शरीर के भीतर रक्त प्रतिदिन 60,000 मील (96,540 कि.मी.) दूरी की यात्रा करता है।

Monday, 30 September 2013

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about fever



बुखार : कुछ विशेष जानकारियां
हर प्रकार के बुखार में :-
१. प्लेटलेट घटते हैं .
२. मुंह का स्वाद कड़वा हो जाता है .
३. भूख बंद हो जाती है .
४. शरीर में दर्द होने लगता है .
५. चक्कर आने लगता है .
६. उल्टी हो सकती है .
ऐसा इसलिए होता है कि शरीर की सारी शक्ति बुखार के कारण से लड़ने में लगी होती है . शरीर के अंदर बैठा महान डाक्टर जनता है कि खाना पचाने में लगाने के लिए शक्ति नहीं बची है तो वो भूख बंद कर देता है . स्वाद को कड़वा कर देता है ताकि आप खा ही न पायें . दर्द इसलिए कि आप चल ना पायें . चक्कर इसलिए कि आप आराम करते रहें .
शरीर में सबसे अधिक शक्ति खाना पचाने में लगती है . बुखार के समय शक्ति की कमी हो जाती है , अत: प्रोटीन ,फैट , कार्बोहाइड्रेट आदी खाना कर देना चाहिए .
प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार बुखार में :-
१. नारियल पानी पियें .
२. सब्जियों का सूप लें .
३. अधिक रसेदार सब्जी खाएं .
४. फल खाएं .
५. फल का जूस पियें .
६. प्लेटलेट बढ़ाने के लिए पपीते के पत्ते का रस , बकरी का दूध , गिलोय के पत्ते का रस , गिलोय की डंडी का रस / काढ़ा , एलोवेरा का रस आदी देते रहें .
७. चार दिन आराम करें .
८. १०१ डिग्री से ऊपर बुखार होने पर सिर , गले , दोनों बाहों , पिंडलियों पर पानी की पट्टी बांधे रहें .
ये सब चीजें आसानी से पच जाती हैं . पचाने में शरीर को काम शक्ति लगनी पड़ती है . बुखार जल्दी से ठीक हो जाता है . प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार बुखार स्वास्थ्य सुधार की एक आंतरिक क्रिया है .

Monday, 16 September 2013

lady finger

 भिंडी
भिंडी एक लोकप्रिय सब्जी है। इसमें कैल्शियम, फ़ॉस्फ़रस, विटामिन ए, बी तथा सी पर्याप्त मात्रा में पाये जाते है। भूमि व खेत की तैयारी. भिंडी के लिये दीर्घ अवधि का गर्म व नम वातावरण श्रेष्ठ माना जाता है। भिंडी विटामिन ए, सी, बी6 से भरपूर होती है और इसमें कैल्शियम, और मैग्नीशियम भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. भरवाँ भिंडी किसी भी और भरवाँ सब्जी की तरह थोड़ी खास होती है
भिंडी एक लोकप्रिय सब्जी है। इसमें कैल्शियम, फ़ॉस्फ़रस, विटामिन ए, बी तथा सी पर्याप्त मात्रा में पाये जाते है।
भूमि व खेत की तैयारी

भिंडी के लिये दीर्घ अवधि का गर्म व नम वातावरण श्रेष्ठ माना जाता है। बीज उगने के लिये 27-30 डिग्री से०ग्रे० तापमान उपयुक्त होता है तथा 17 डि से० ग्रे से पर बीज अंकुरित नहीं होते। यह फ़सल ग्रीष्म तथा खरीफ, दोनों ही ऋतुओं में उगाई जाती है। भिंडी को उत्तम जल निकास वाली सभी तरह की भूमि में उगाया जा सकता है। भूमि का पी एच० मान 7 से 7.8 होना उपयुक्त रहता है।
उत्तम क़िस्में
    पूसा ए -4
: यह भिंडी की एक उन्नत क़िस्म  है। यह पीतरोग  येलोवेन मोजोइक रोधी है। फल मध्यम आकार के गहरे, कम लेस वाले तथा आकर्षक होते है। बोने के लगभग 15 दिन बाद से फल आना शुरू हो जाते है। इसकी औसत पैदावार ग्रीष्म में 10 टन व खरीफ में 15 टन प्रति है० है।
    परभनी क्रांति : यह क़िस्म पीत-रोगरोधी है। फल बुआई के लगभग 50 दिन बाद आना शुरू हो जाते है। फल गहरे हरे एवं 15-18 सें०मी० लम्बे होते है। इसकी पैदावार 9-12 टन प्रति है० है।
    पंजाब -7 : यह क़िस्म भी पीतरोगीरोधी है। फल हरे एवं मध्यम आकार के होते है। बुआई के लगभग 55 दिन बाद फल आने शुरू हो जाते है। इसकी पैदावार 8-20 टन प्रति है० है।
    इसके अलावा भिंडी की अन्य उन्नत किस्में है - पंजाब पद्मिनी , हिसार उन्नत व वर्षा उपहार।
बीज की मात्रा व बुआई का तरीक़ा
सिंचित अवस्था में पंजाब, राजस्थान व हरियाणा में 2.5 से 3 कि०ग्रा० तथा असिंचित दशा में 5-7 कि०ग्रा० प्रति हेक्टेअर  की आवश्यकता होती है। उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में 5 से 7 कि०ग्रा० प्रति हेक्टेअर  बीज कीझ संस्तुति दी गयी है। लाइन से लाइन की दूरी 30 सें०मी०, पौधे से पौधे की दूरी 10 सें०मी० व 2 से 3 सें०मी० गहरी बुवाई करनी चाहिए।
ग्रीष्म ऋतु में 30 x 15 सें०मी० वर्षा में 45 x 70 x 20 x 25 सें०मी० की दूरी पर बुआई करनी चाहिए ।
 बुआई का समय
भिंडी के बीज सीधे खेत में ही बोये जाते है। बीज बोने से पहले खेत को तैयार करने के लिये 2-3 बार जुताई करें। पूरे खेत को उचित आकार की पट्टियों में बांट लें जिससे कि सिंचाई करने में सुविधा हो। वर्षा ऋतु में जल निकास की दृष्टि से क्यारियों को तैयार करें।
 खाद और उर्वरक
    प्रति हेक्टेअर  क्षेत्र में लगभग 15-20 टन गोबर की खाद 300 कि० ग्रा० अमोनियम सल्फ़ेट या 400 कि० ग्रा० सुपर फ़ॉस्फ़ेट एवं 100 कि० ग्रा० उत्तमवीर यूरिया 15 दिन के अन्तर पर 2 किश्तों में डालना चाहिए। ग्रीष्म ऋतु में हर 5-7 दिन बाद तथा ऋतु में आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए ।
    गीष्म ऋतु में हर दिन, बाद वर्षा ऋतु में आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए।
निराई व सिंचाई
सिंचाई मार्च में 10-12 दिन, अप्रैल में 7-8 दिन और मई-जून मे 4-5 दिन के अन्तर पर करें। बरसात में यदि बराबर वर्षा होती है तो सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है ।
 पौध संरक्षण
तना, फल छेदक एवं फुदका इसके नियन्त्रण के लिये 100-150  मि०ली० इमिडावीर प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए। फलों को छिड़काव से पहले तोड़ लेना चाहिए तथा इसके अलावा कीड़ा लगे फलों को तोड़ कर ज़मीन में गाड़ देना चाहिए।
पीत रोग, येलो बेन मौजेक यह भिंडी का प्रमुख रोग है। इस रोग में पत्तियों की शिराएँ पीली पड़ने लगती हैं अन्ततः पूरा पौधा एवं फल पीले हो जाते हैं। इस रोग से बचाने के लिये रोगरोधी क़िस्मों का ही प्रयोग करना चाहिए।
 कटाई व उपज
भिंडी की तुड़ाई हर तीसरे या चौथे दिन आवश्यक हो जाती है। तोड़ने में थोडा भी अधिक समय हो जाने पर फल कडा हो जाता है। फल को फूल खिलने के 5-7 दिन के भीतर अवश्य तोड़ लेना चाहिए।उचित देखरेख, उचित क़िस्म व खाद- उर्वरकों के प्रयोग से प्रति हेक्टेअर 130-150 कुन्तल हरी फलियाँ प्राप्त हो जाती हैं.... Read more

Saturday, 14 September 2013

tea-cofee


चाय-काफी में दस प्रकार के जहर
1. टेनिन नाम का जहर 18 % होता है, जो पेट में छाले तथा पैदा करता है।
tea-coffee2. थिन नामक जहर 3 % होता है, जिससे खुश्की चढ़ती है तथा यह फेफड़ों और सिर में भारीपन पैदा करता है।
3. कैफीन नामक जहर 2.75 % होता है, जो शरीर में एसिड बनाता है तथा किडनी को कमजोर करता है।
4. वॉलाटाइल नामक जहर आँतों के ऊपर हानिकारक प्रभाव डालता है।
5. कार्बोनिक अम्ल से एसिडिटी होती है।
6. पैमिन से पाचनशक्ति कमजोर होती है।
7. एरोमोलीक आँतड़ियों के ऊपर हानिकारक प्रभाव डालता है।
8. साइनोजन अनिद्रा तथा लकवा जैसी भयंकर बीमारियाँ पैदा करती है।
9. ऑक्सेलिक अम्ल शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक है।
10. स्टिनॉयल रक्तविहार तथा नपुंसकता पैदा करता है।
इसलिए चाय अथवा कॉफी कभी नहीं पीनी चाहिए और अगर पीनी ही पड़े तो आयुर्वैदिक चाय पीनी चाहिए.......... Read more

Friday, 13 September 2013

banana

केले के लाभ
केले में पोटैशियम पाया जाता है, जो कि ब्लडप्रेशर के मरीज के लिए बहुत फायदेमंद है।banana is a fruit

ज्यादा शराब पीने से हैंगओवर को उतारनेमें केले का मिल्क शेक बहुत फायदेमंदहोता है। केले का शेक पेट को ठंडक पहुंचाता है। केला ब्लड शुगर नियंत्रित करता है। केले में काफी मात्रा में फाइबरपाया जाता है। केला पाचन क्रिया को सुचारु करता है। अल्सर के मरीजों के लिए केले का सेवन फायदेमंद होता है।
केले में आयरन भरपूर मात्रा में होता है,जिसके कारण खून में हीमोग्लोबिनकी मात्रा बढ़ती है। 
तनाव कम करने में भी मददगार है केला- केले में ट्राइप्टोफान नामकएमिनो एसिड होता है जिससे मूडको रिलैक्स होता है। 
दिल के लिए दिल के मरीजों के लिएकेला बहुत फायदेमंद होता है। हर रोज दो केले को शहद में डालकर खाने से दिलमजबूत होता है और दिलकी बीमारियां नहीं होती हैं।
 
बुजुर्गों के लिए फायदेमंद केला बुजुर्गों के लिए सबसे अच्छा फल है। क्योंकि इसे बहुत ही आसानी से छीलकरखाया जा सकता है। इसमें विटामिन-सी, बी6 और फाइबर होता है जो बढ़ती उम्र मेंजरूरी होता है। बुढ्ढों में पेट के विकार को भी यह समाप्त करता है।
वजन बढ़ाने के लिए वजन बढ़ाने के लिएकेला बहुत मददगार होता है। हर रोज केलेका शेक पीने से पतले लोग मोटे हो सकते हैं।इसलिए पतले लोगों को वजन बढाने केलिए केले का सेवन करना चाहिए।
नकसीर के लिए अगर नाक से खूननिकलने की समस्या है तो केले को चीनी मिले दूध के साथ एक सप्ताह तकइस्तेमाल कीजिए। नकसीर का रोगसमाप्त हो जाएगा।
बच्चों के लिए च्चों के विकास केलिए केला बहुत फायदेमंद होता है। केले में मिनरल और विटामिन पाया जाता हैजिसका सेवन करने से बच्चों का विकास अच्छे से होता है। इसलिए बच्चों की डाइटमें केले को जरूर शमिल करना चाहिए...........Read more

Thursday, 12 September 2013

stomuch disease

 पेट की बीमारियां
पेट की बीमारियों से परेशान होने वाले लोग यदि अपनी डाइट में प्रचूर मात्रा में दही को शामिल करें तो अच्छा होगा।
pet dard ka ilaj
इसमें अच्‍छे बैक्‍टीरिया पाए जाते हैं जो पेट की बीमारी को ठीक करते हैं। पेट में जब अच्‍छे किस्‍म्‍ के बैक्‍टीरिया की कमी हो जाती है तो भूख न लगने जैसी तमाम बीमारियां पैदा हो जाती हैं।इस स्थिति में दही सबसे अच्छा भोजन बन जाता है। यह इन तत्वों को हजम करने में मदद करता है... Read more